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सोमवार, 31 अक्तूबर 2011

हिंदी भाषा

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प्रत्येक देशवासी को अपनी हिंदी भाषा को समझने व सजीवता से अपनाने को "लोकतांत्रिक कर्तव्य" के रूप में समझना चाहिए, इतना ही नहीं ऐसा सभी देशों के संविधान में भी नागरिकों के लिए प्रावधान होना चाहिए |

"भाषा" दो व्यक्तियों को एक दुसरे की भावनाओं, इच्छाओं, आवश्यकताओं को आपस में समझने का एक माध्यम है | विभिन्न भाषाएँ एक दूसरी भाषा से कमजोर या प्रबल नहीं होती है | हाँ कुछ शब्द, भाषा का बोलना अपने आप में सही व सटीक अर्थ प्रधान करता है | इतना ही नहीं जो शब्द, भाषा का उच्चारण प्रकर्ति में जबरदस्त बदलाव या कहें प्रभाव लाते है वह आपने आप में विज्ञानिक भाषा होती है | भाषाओं का ज्ञान हमे एक दुसरे जीव से जोड़ता है और आपसी ज्ञान भी बढाता है | भाषा शत्रुता को छोड़ प्रेम का संचार करती है | अतः दुनिया की सभी भाषाओं का आदर करना चाहिए और सीखना भी चाहिए |

आईये अब हम हमारी, हमारे देश की राष्ट्रिय भाषा हिंदी के बारे में विचार करते है | हमारी भाषा अपनी कितनी है या होनी चाहिए, इसका आंकलन हम कुछ इस प्रकार से करते है | "अपने" की हम कितनी कदर करते है यह हम जान पाए इसके लिए आप चलिए मेरे साथ और इस प्रशन का निर्णय लीजिये कि हम अपने द्वारा लगाये पेड़ और दूसरे के द्वारा लगाये पेड़ और दुसरे प्रान्त के पेड़ और दुसरे देश के पेड़ में से किस पेड़ की रक्षा एवं पालन-पौषण करेगें ?

इस प्रशन पर आपका प्रतिउतर आपके अन्दर निर्णित हो चुका है |

मेरे स्वयं का निर्णय सटीक व स्पष्ट है कि मैं मेरे द्वारा लगाये पेड़ को प्राथमिकता देते हुए अन्य पेड़ का पालन-पौषण करूंगा | क्यूंकि मेरे प्रयासों के द्वारा लगाये पेड़ को जीवधारित स्थिति में लाने का जिम्मा भी मेरा ही होने के कारण मेरा धर्मसंगत व नैतिक कर्तव्य बनता है कि मेरे द्वारा लगाये पेड़ को प्राथमिकता से पालन-पौषण देते हुए अन्य पेड़ को भी सामर्थता अनुसार संरक्षण प्रदान करू | यहाँ यह भी स्पष्टरूप से प्रकट करना चाहुगां कि मैं मेरे द्वारा लगाये पेड़ को अपने हाल पर छोड़ कर दुसरे पेड़ों का पालन-पौषण (महत्व) करूं तो यह मेरे द्वारा अधर्मसंगत एव अनैतिक कृत्य ही होगा | इतना ही नहीं राष्ट्री भाषा हमे आपसी अपनत्व, प्रेम प्रदान करती है इतना ही नहीं संगठित करने में भी बहुत सहयोगी होती है |

यह निश्चित है कि हमे दुनिया की स्त्रियों का सम्मान करना चाहिए | हम दूसरों की माँ को हमारी माँ माने व अपनाए यह अच्छी बात है | किन्तु हमारी माँ से दूसरों की माँ को ज्यादा सम्मान दें, यह निचित ही उचित नहीं |

अब बतलाये मेरे बारे में इस विषय पर आपका क्या मत है |

संस्कृत भाषा वैज्ञानिक भाषा है जिसका आज जर्मनी देश आपनी टेक्नोलोजी, यंत्रों में कोड शब्द के रूप में प्रयोग कर रहा है | संस्कृत के एक शब्द (कुछ) का अर्थ लगभग एक लाइन तक होता है |
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हिंदी शब्द, भाषा की विशेषता इसी से लगाई जा सकती है कि इसका शब्द जो उच्चारण में बोला जाता है उसका अर्थ भी वही होता है |



 

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